July 31, 2025

अपनी परम्पराओं और संस्कृति का संरक्षण अगली पीढ़ी को सौंपना भी बड़ा महत्वपूर्ण – गणेश जोशी

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देहरादून- कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने आयोजित इगास माउंटेन फेस्ट कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का शुभारंभ कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने ईगास पर्व पर भेलो पूजन कर, भेलो भी खेला।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि ईगास पर्व उत्तराखंड के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पर्व उनकी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि ईगास पर्व उत्तराखंड के लोकपर्वों में से मनाया जाना वाला एक प्रमुख पर्व है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड के लोग ईगास त्यौहार को बहुत उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार क्षेत्र की सांस्कृतिक और कृषि परंपरा को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि यह दो दिवसीय आयोजन केवल इगास को याद करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और अनुभवों के साथ जीने का अवसर भी प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि यह फेस्ट न केवल उत्तराखंड की धरोहर को संजोने का माध्यम है, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं के महत्व को समझाने और उनसे जोड़ने की प्रेरणा भी है। उन्होंने कहा प्रधानमंत्री का हमेशा से ही उत्तराखंड के लोक पर्वो और यहां की संस्कृति को बढ़ावा देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि राज्य स्थापना दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में उत्तराखंड वासियों से अपनी बोली भाषा का संरक्षण करने एवं गांव से जुड़ने का आग्रह किया था।

कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि हमारे तीज त्यौहार लोक संस्कृति एवं लोक परम्परा उत्तराखंड की पहचान है। उन्होंने कहा कि इस लोक पर्व को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इगास पर्व पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की थी, ताकि सभी प्रदेशवासी इगास पर्व को बड़े धूमधाम से मना सकें।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में इगास की परंपरा को जिस प्रकार जीवंत किया है। वो बहुत उत्साहित करने वाला है। मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि देशभर में इस पावन पर्व को जिस बड़े पैमाने पर मनाया जा रहा है, वह इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी परम्पराओं, रीति रिवाजों, संस्कृति को जानना और समझना होगा। उनका सम्मान करना होगा। उन्होंने कहा कि अपनी परम्पराओं और संस्कृति का संरक्षण और अगली पीढ़ी को सौंपना भी बड़ा महत्वपूर्ण है।उन्होंने कहा कि ईगास पर्व पर हमने अपने गांव से जुड़ने एंव भाषा और लोक पर्वो के संरक्षण का संकल्प लेना का आव्हान भी किया।

इगास पर्व का इतिहास बहुत पुराना है, और इसके बारे में कई कथाएं और कहानियां प्रचलित हैं। ईगास पर्व हर साल नवंबर माह में मनाया जाता है। उत्तराखण्ड में मान्यता है कि भगवान राम के अयोध्या पहुंचने का समाचार पहाड़ी क्षेत्र में 11 दिन बाद पहुंचा था। इसलिए वहां दीपावाली के 11 दिन बाद दिवाली मनाई जाती है। पहाड़ में इस त्योहार को इगास पर्व के नाम से जाना जाता है।इस दिन घरों में मिठाइयां बनती हैं। शाम को देवी-देवताओं की पूजा-पाठ की जाती है और भेलों खेल जाता है। इस पर्व को बूढ़ी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है।

इस अवसर पर महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल, लोक गायिका कलमा देवी, रेड एफएम हिमांशु शर्मा, रजत शक्ति, अंकुर आनंद सहित कई लोग उपस्थित रहे।

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