December 26, 2024

14 दिसंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित करेगी योगी सरकार

0
750x450_191529-yogi-adityanath

लखनऊ- योगी सरकार और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से प्रदेश के सभी 75 जनपदों में 14 दिसंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। इसके जरिए अदालत में दीवानी, फौजदारी एवं राजस्व न्यायालयों में लंबित मुकदमों के साथ-साथ प्री-लिटिगेशन (मुकदमा दायर करने से पूर्व) वैवाहिक विवादों का समाधान भी सुलह-समझौते के माध्यम से कराया जायेगा। राष्ट्रीय लोक अदालत में सभी तरह के शमनीय आपराधिक मामले, बिजली एवं जल के बिल से संबंधित शमनीय दंडवाद, चेक बाउंस से संबंधित धारा-138 एनआई एक्ट व बैंक रिकवरी, राजस्व वाद, मोटर दुर्घटना प्रतिकर वार और अन्य सिविल वादों का समाधान किया जाएगा।

योगी सरकार और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्​देश्य दोनों पक्षों के बीच सौहार्द बनाना है। इससे संबंधित पक्षकारों के समय व धन की बचत होती है। लोक अदालत में निर्णित मुकदमे की अपील किसी अन्य न्यायालय में नहीं की जा सकती है। लोक अदालत के निर्णय को अंतिम माना जाता है। वहीं अदा की गयी कोर्ट फीस पक्षकारों को वापस हो जाती है। लोक अदालत का निर्णय सिविल न्यायालय के निर्णय के समान बाध्यकारी होता है। यातायात संबंधी चालानों को वेबसाइट vcourts.gov.inके द्वारा ई-पेमेंट के माध्यम से भुगतान कर घर बैठे ही निस्तारण कराया जा सकता है। ऐसे में प्रदेशवासी किसी भी आलंबित वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में सुलह-समझौते के आधार पर निस्तारित कराना चाहते हैं तो वह संबंधित न्यायालय के पीठासीन अधिकारी अथवा जनपद के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से संपर्क कर वाद को राष्ट्रीय लोक अदालत में नियत करा सकते हैं।

प्री-लिटिगेशन वैवाहिक विवाद वह हैं, जो दंपति के मध्य विभिन्न कारणों से उत्पन्न होते हैं। इसके समाधान के लिए पति अथवा पत्नी के द्वारा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में विवाद का संक्षिप्त विवरण लिखते हुए प्रार्थना पत्र दिया जायेगा। इसके बाद विपक्षी को नोटिस भेज कर बुलाया जायेगा। पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश एवं मध्यस्थ अधिवक्ता की पीठ गठित की जायेगी। पीठ के द्वारा दोनों पक्षों की बैठक करवाकर सुलह-समझौते के माध्यम से विवाद का समाधान कराया जायेगा। पीठ के द्वारा पक्षों के मध्य समझौते के आधार पर लोक अदालत में निर्णय पारित किया जायेगा, जो अंतिम माना जायेगा। इससे परिवार टूटने से बच जायेगा एवं पारिवारिक सद्भाव बना रहेगा। उक्त निर्णय के विरुद्ध किसी अन्य न्यायालय में अपील दायर नहीं की जा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed