April 20, 2025

जब तक ऊंट पहाड़ के नीचे से नहीं गुजरता, तब तक उसे अपनी ऊंचाई का घमण्ड रहता है -अखिलेश यादव

0
IMG-20241020-WA0011

लख़नऊ- समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा को पता नहीं किस बात का घमंड रहता है। जब तक ऊंट पहाड़ के नीचे नहीं आता है तब तक उसे भी अपनी ऊंचाई का घमण्ड रहता है। श्रीनगर कश्मीर में इतने ऊंचे-ऊंचे पहाड़ है लेकिन मानव जरा सी ऊंचाई पर पहुंचता है तो घमण्ड में चूर हो जाता है।

जम्मू कश्मीर यात्रा के दौरान इस वार्ता क्रम में  अखिलेश यादव के साथ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी भी थे।
केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में चुनाव के बाद नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष  उमर अब्दुल्ला को 16 अक्टूबर 2024 को जब उपराज्यपाल  मनोज सिन्हा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई तब इंडिया गठबंधन के सभी प्रमुख नेता उन क्षणों के साक्षी बने। इनमें भी उत्तर प्रदेश से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री  अखिलेश यादव सभी के विशेष आकर्षण के केन्द्र रहे। जैसे ही शपथ ग्रहण स्थल श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर हाल में अखिलेश जी पहुंचे नवनिर्वाचित विधायकों सहित सभी ने खड़े होकर तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया।

अखिलेश यादव 15 अक्टूबर 2024 की शाम ही श्रीनगर पहुंच गए थे। उनके आगमन की खबर आग की तरह फैलते ही उनका हर रास्ते पर, जहां से वे गुजरे, स्थानीय वाशिंदे उनका अभिवादन करते दिखाई दिए। दो दिन वे अखिलेश जी से मिलने के लिए कतार लगाए रहे। नौजवान तो बड़ी संख्या में उनके स्वागत में घंटों खड़े रहे। कश्मीर के नेताओं, विधायकों सहित आम जन सभी के चेहरों पर अखिलेश जी को देखने भर से उनकी आंखों में जो चमक थी उसमें भारत के भविष्य का नेतृत्व झलकता था।

अखिलेश यादव की डल झील के किनारे रूकने की व्यवस्था थी। देर रात तक और अगले दिन सुबह तक कश्मीर के नौजवानों का समूह उनके दीदार के लिए डटा रहा। कश्मीर में नौजवानों की बेरोजगारी चरम पर है। यहां के नौजवान रोटी-रोजगार के लिए देश भर में घूमते रहते है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में समाजवादी सरकार के समय अखिलेश यादव जी ने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में शानदार गोमती रिवरफ्रंट का निर्माण कराया था। यहां सड़क के किनारे कश्मीरी युवक ड्राईफ्रूट बेचते मिल जाएंगे। वैसे आज कल भाजपा सरकार में उन्हें बार-बार अपमानित होना पड़ता है। उनके ड्राईफ्रूट सड़क पर बिखेर दिए जाते हैं और उनसे अभद्रता की जाती है।

कश्मीरियों ने जिस गर्मजोशी से अखिलेश जी का स्वागत अभिनंदन किया वाकई वह बहुत स्मरणीय है। नौजवानों ने ‘अखिलेश यादव साहब आगे बढ़ो,‘ ‘अखिलेश साहब कदम आगे बढ़ाओ, यह देश तुम्हारा है।‘ नारे लगा रहे थे। ऐसा लगता था जैसे नौजवानों ने कश्मीर का भविष्य भी अखिलेश यादव जी के साथ जोड़ रखा है। उन्हें उम्मीद है कि उनके मसलों का समाधान यही ‘युवाहृदय सम्राट‘ करेगा।
श्रीनगर के धानेपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक श्री मुश्ताक गुल अखिलेश जी से मिलने आए। उनका कहना था कि यहां कारोबार ठप्प है। सेब का मुख्य कारोबार है पर उस पर भी संकट है। जनता के हित में कोई योजना नहीं बनी है।

कश्मीर में सेब, अंगूर, केसर, अखरोट, चेरी और दूसरे फलों की खेती यहां के लोगों के जीवनयापन का मुख्य साधन हैं। कश्मीरी शाल, कालीन के अलावा यहां का रेशम उद्योग भी बहुत प्रसिद्ध है।
कश्मीर में मुख्य आय स्रोत पर्यटन है। इस सुन्दर भू-भाग में कई सुंदर, आकर्षक स्थान हैं। डल झील में पर्यटक शिकारे में रूकते हैं जो जल में तैरते आवास है। पानी मे तैरते बोट हाउस और किश्तियों में लगती सब्जीमंडी के अलावा डल झील में संगीत नृत्य की महफिल का आनन्द लिया जा सकता है। लोग आवागमन के साधन में साइकिलों का भी खूब इस्तेमाल करते हैं। झेलम नदी पर हेरीटेज ब्रिज है। यहां चिनार के वृक्ष बहुत खूबसूरत लगते हैं। सैकड़ों वर्षों से चार चिनार के पेड़ खड़े हैं जिनको देखने आज भी बड़ी संख्या में लोग आते है।
अखिलेश यादव ने जब बताया कि उन्होंने अपने सैफई गांव में भी कश्मीर के चिनार के पेड़ लगाए थे, जो आज भी लहलहा रहे है, तो खुद फारूख अब्दुल्ला साहब को बहुत ताज्जुब हुआ।

अखिलेश यादव गुपकार रोड़ से भी गुजरे जहां डॉ0 फारूख अब्दुल्ला नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष, उमर अब्दुल्ला नए मुख्यमंत्री और जम्मू कश्मीर के राजा हरि सिंह जी का भी आवास है। अब वह डॉ0 कर्ण सिंह जी का आवास है जो पूर्व केन्द्रीय मंत्री तथा जम्मू कश्मीर के सदर-ए-रियासत थे। इस क्षेत्र में ट्यूलिप गार्डेन, चश्माशाही निशात, शालीमार बाग, मुगल गार्डेन भी दर्शनीय स्थल है। कश्मीर की प्रसिद्ध डल झील, गुलमर्ग, मुगल गार्डेन, निशात-बाग, शालीमार बाग, के अलावा पर्यटकों के आकर्षण केन्द्र सोनमर्ग, पहलगाम है। नागिन जैसे सुंदर सरोवर हैं और विशाल वुलर झील है जो अपने मीठे पानी के लिए जानी जाती है।
अखिलेश यादव गाँदरबल लेह हजरत बल मस्जिद के रास्ते से हरिपर्वत किला देखने भी पहुंचे जो कभी कश्मीर की राजधानी रहा था। डोगरा शासन का भी यह किला गवाह बना हुआ है। हरि पर्वत श्रीनगर में डल झील के पश्चिम में है। कहते है यहां किले का निर्माण तो 18वीं शताब्दी में एक अफगान गवर्नर ने कराया था, मुगल सम्राट अकबर ने 1590 ई0 में किले की चहार दीवारी बनवाई थी। वर्तमान में इस किले पर जम्मू-कश्मीर पुरातत्व विभाग का नियंत्रण है। यह दुर्गम किला निर्जन स्थान पर है और इसके रास्ते में 400 से ज्यादा सीढ़ियां हैं जिन्हें पार करके ही किले के अन्दर जा सकते है। यहां बड़गांव जिले में  अखिलेश जी के सम्मान में छोटी-मोटी संगीत सभा भी जुटी जिसमें जनाब जहूर अहमद के संतूर वादन के समय मटका पर रूफ अहमद संगत कर रहे थे। यहां कश्मीरी फोक म्यूजिक के कई रंग जमे।
कश्मीर के कहवा के क्या कहने। यह वहां का गर्म पेय पदार्थ है। इसका सेवन सभी जरूर करते हैं। यहां के अतिथियों को भी कहवा का स्वाद चखने को मिला। कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। फारसी में मुगल बादशाह जहांगीर का यह कथन बहुत चर्चित है-‘‘गर फिरदौस बर रुए जमीं अस्त। हमीं अस्त, हमीं अस्त, हमीं अस्त।‘‘ यानी ‘‘इस पृथ्वी पर यदि कहीं स्वर्ग है तो यही हैं, यहीं है, यहीं है।‘‘ कश्मीर सदियों तक संस्कृति, दर्शन के साथ सूफी संतों के लिए भी प्रसिद्ध रहा है। अखिलेश यादव कश्मीर के सौंदर्य के साथ पर्यावरण के प्रति भी संवेदनशील दिखे। उन्होंने इस सम्बंध में दिलचस्पी ली। अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में तो  अखिलेश यादव ने लखनऊ में जनेश्वर मिश्र पार्क बनाया, जो लंदन के हाइड पार्क से तुलना में कम नहीं है।

अखिलेश यादव ने श्रीनगर यात्रा में गहरी छाप छोड़ी है। उनकी इस यात्रा से वहां समाजवादी साथियों में भी नए उत्साह का संचार हुआ है। नौजवान और आम लोगों ने अखिलेश जी में जो रूचि ली है उससे उम्मीद बंधती है कि जम्मू कश्मीर में समाजवादी पार्टी वैचारिक राजनीति की मजबूत दावेदार बनेगी।
(लेखकः राजेन्द्र चौधरी समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव और पूर्व कैबिनेट मंत्री हैं)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed